संकष्टी श्री गणेश चतुर्थी व्रत: यह व्रत भगवान गणेश को समर्पित है और इस दिन भक्त गणपति की पूजा और व्रत रखते हैं।
संकष्टी श्री गणेश चतुर्थी व्रत: महत्त्व, विधि और लाभ

संकष्टी श्री गणेश चतुर्थी व्रत हिंदू धर्म में भगवान गणेश की पूजा के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। यह व्रत हर महीने की कृष्ण पक्ष चतुर्थी को रखा जाता है और इसे विशेष रूप से संकटों को दूर करने वाला माना जाता है। भगवान गणेश को विघ्नहर्ता कहा जाता है, और संकष्टी चतुर्थी का व्रत करने से जीवन की सभी बाधाएँ समाप्त होती हैं तथा सुख-समृद्धि प्राप्त होती है।
संकष्टी श्री चतुर्थी का महत्त्व
संकष्टी चतुर्थी हिंदू धर्म में अत्यंत शुभ और महत्वपूर्ण व्रत माना जाता है। यह व्रत हर महीने की कृष्ण पक्ष चतुर्थी को किया जाता है और विशेष रूप से भगवान गणेश को समर्पित होता है। संकष्टी चतुर्थी का मुख्य उद्देश्य जीवन में आने वाली बाधाओं, संकटों और कष्टों को दूर करना होता है।
1. संकटों से मुक्ति दिलाने वाला व्रत
भगवान गणेश को विघ्नहर्ता कहा जाता है, जो अपने भक्तों के सभी विघ्न और परेशानियों को दूर करते हैं। संकष्टी चतुर्थी व्रत करने से व्यक्ति के जीवन में आने वाली सभी कठिनाइयाँ समाप्त होती हैं और सुख-समृद्धि प्राप्त होती है।
2. सुख, शांति और समृद्धि का प्रतीक
जो व्यक्ति इस व्रत को श्रद्धा और भक्ति भाव से करता है, उसके जीवन में सुख-शांति बनी रहती है।
यह व्रत पारिवारिक कलह को दूर करता है और घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है।
3. मनोकामना पूर्ण करने वाला व्रत
संकष्टी चतुर्थी का व्रत करने से भक्तों की सभी इच्छाएँ पूर्ण होती हैं। पौराणिक कथाओं में वर्णन है कि जो भी व्यक्ति संकष्टी चतुर्थी का व्रत करता है, उसकी मनोकामनाएँ अवश्य पूर्ण होती हैं और उसे भगवान गणेश का विशेष आशीर्वाद प्राप्त होता है।
4. चंद्रमा को अर्घ्य देने का विशेष महत्त्व
इस व्रत में रात्रि के समय चंद्रमा को अर्घ्य दिया जाता है। यह मानसिक शांति और सकारात्मकता प्रदान करता है। ऐसा माना जाता है कि इससे व्यक्ति के जीवन से मानसिक तनाव दूर होता है और उसे शांति प्राप्त होती है।
5. आध्यात्मिक उन्नति और आस्था को बढ़ाने वाला व्रत
संकष्टी चतुर्थी व्रत केवल सांसारिक लाभों के लिए ही नहीं, बल्कि आध्यात्मिक उन्नति के लिए भी महत्वपूर्ण है। इस दिन भगवान गणेश की पूजा करने से भक्तों की आस्था और श्रद्धा बढ़ती है, जिससे वे आत्मिक शुद्धि की ओर अग्रसर होते हैं।
6. पौराणिक और धार्मिक महत्त्व
शास्त्रों में संकष्टी चतुर्थी व्रत का उल्लेख मिलता है। मान्यता है कि स्वयं माता पार्वती ने भगवान गणेश को यह वरदान दिया था कि संकष्टी चतुर्थी का व्रत करने वाले भक्तों के सभी संकट समाप्त होंगे और उन्हें सुख-समृद्धि की प्राप्ति होगी।
7. संतान सुख प्राप्ति का माध्यम
ऐसा कहा जाता है कि जो दंपत्ति संतान प्राप्ति की कामना से यह व्रत करते हैं, उन्हें भगवान गणेश की कृपा से संतान सुख प्राप्त होता है। इसीलिए, संकष्टी चतुर्थी को विशेष रूप से महिलाओं के लिए भी महत्वपूर्ण माना जाता है।
निष्कर्ष
संकष्टी चतुर्थी व्रत का महत्त्व केवल धार्मिक ही नहीं, बल्कि आध्यात्मिक और मानसिक शांति के दृष्टिकोण से भी बहुत अधिक है। यह व्रत करने से जीवन में सुख-शांति, सफलता, समृद्धि और सभी प्रकार के संकटों से मुक्ति मिलती है। भगवान गणेश की कृपा प्राप्त करने के लिए इस व्रत को श्रद्धा और नियम के साथ करना चाहिए।
संकष्टी श्री व्रत की विधि
1.व्रत की तैयारी:
- घर या मंदिर में गणेश जी की मूर्ति स्थापित करें।
- संकष्टी चतुर्थी के दिन प्रातः स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
- पूरे दिन व्रत रखें और शाम के समय गणेश पूजन करें।
2.पूजा विधि
- भगवान गणेश की मूर्ति या चित्र के समक्ष दीपक जलाएं।
- रोली, अक्षत, पुष्प, दूर्वा और मोदक का भोग लगाएं।
- गणेश जी की कथा का श्रवण करें और आरती करें।
- रात्रि में चंद्रमा को अर्घ्य देकर व्रत पूर्ण करें
संकष्टी श्री विसर्जन विधि:
- भगवान गणेश की पूजा-अर्चना कर, आरती करें।
- प्रसाद चढ़ाएँ और श्रद्धा से गणपति बप्पा को विदाई दें।
- जल में विसर्जित करते समय “गणपति बप्पा मोरया” का जयघोष करें।
संकष्टी चतुर्थी कथा
एक पौराणिक कथा के अनुसार, एक समय की बात है जब एक राजा की कोई संतान नहीं थी। उसने कई तप और यज्ञ किए लेकिन फल नहीं मिला। एक दिन एक संत ने उन्हें संकष्टी चतुर्थी व्रत करने का सुझाव दिया। राजा और रानी ने पूरी श्रद्धा से यह व्रत रखा, जिससे भगवान गणेश प्रसन्न हुए और उन्हें एक तेजस्वी पुत्र का वरदान मिला। इस कथा से यह प्रमाणित होता है कि संकष्टी चतुर्थी का व्रत करने से इच्छाओं की पूर्ति होती है।
संकष्टी चतुर्थी के लाभ
- बाधाओं का नाश: जीवन में आने वाली रुकावटें दूर होती हैं।
- आर्थिक समृद्धि: व्यापार और नौकरी में सफलता मिलती है।
- स्वास्थ्य लाभ: शारीरिक और मानसिक रोगों से मुक्ति मिलती है।
- पारिवारिक सुख: घर में शांति और समृद्धि आती है।
- इच्छा पूर्ति: मनोकामनाएँ पूर्ण होती हैं।
उपसंहार
संकष्टी चतुर्थी व्रत केवल धार्मिक दृष्टि से ही नहीं बल्कि मानसिक और आध्यात्मिक शांति के लिए भी महत्वपूर्ण है। जो व्यक्ति इस व्रत को श्रद्धा और नियम से करता है, उसके जीवन से सभी संकट दूर हो जाते हैं और उसे सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। इसलिए, संकष्टी चतुर्थी व्रत को निष्ठा और पूर्ण विधि-विधान से करने से भगवान गणेश का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
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