राम नवमी हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण पर्व है, जो भगवान श्रीराम के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। यह पर्व चैत्र मास की शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को मनाया जाता है, जिसे चैत्र नवरात्रि के अंतिम दिन भी कहा जाता है। 2025 में यह पावन दिन 6 अप्रैल, रविवार को आ रहा है। इस दिन पूरे भारत में भव्य पूजन, राम कथा, भजन-कीर्तन और धार्मिक अनुष्ठान किए जाते हैं।

यह लेख आपको राम नवमी 2025 के महत्व, शुभ मुहूर्त, व्रत विधि और पूजा पद्धति के बारे में संपूर्ण जानकारी प्रदान करेगा, जिससे आप इस पवित्र दिन को सही तरीके से मना सकें।
राम नवमी 2025 का महत्व
1.भगवान श्रीराम का जन्मोत्सव
राम नवमी का सबसे बड़ा महत्व भगवान श्रीराम का जन्म है। श्रीराम अयोध्या के राजा महाराज दशरथ और माता कौशल्या के पुत्र थे। वे मर्यादा पुरुषोत्तम कहलाते हैं क्योंकि उन्होंने जीवनभर धर्म, सत्य और न्याय का पालन किया। उनका चरित्र हर युग में आदर्श पुत्र, आदर्श पति, आदर्श राजा और आदर्श मानव का प्रतीक माना जाता है।
2.अधर्म पर धर्म की विजय का प्रतीक
श्रीराम ने राक्षसराज रावण का वध कर अधर्म पर धर्म की विजय स्थापित की थी। उनका जीवन यह सिखाता है कि किसी भी परिस्थिति में सत्य और धर्म का मार्ग नहीं छोड़ना चाहिए। राम नवमी हमें अच्छाई की राह पर चलने और बुराई से दूर रहने की प्रेरणा देती है।
3.रामराज्य की अवधारणा
भगवान श्रीराम का शासनकाल रामराज्य के नाम से प्रसिद्ध है, जिसमें सभी लोग न्याय, समानता और शांति के साथ रहते थे। यह पर्व हमें एक आदर्श समाज बनाने की प्रेरणा देता है।

राम नवमी 2025 का शुभ मुहूर्त
राम नवमी 2025 का शुभ मुहूर्त इस प्रकार रहेगा:
राम नवमी तिथि प्रारंभ: 5 अप्रैल 2025, रात 11:30 बजे
राम नवमी तिथि समाप्त: 6 अप्रैल 2025, रात 9:15 बजे
मध्याह्न शुभ मुहूर्त (भगवान राम जन्म समय): 6 अप्रैल 2025, दोपहर 12:15 बजे से 1:45 बजे तक
पूजन का उत्तम समय: सुबह 9:00 बजे से दोपहर 1:45 बजे तक
सर्वश्रेष्ठ व्रत-पूजन समय: सूर्योदय से दोपहर 12:30 बजे तक
महत्वपूर्ण सलाह: यदि आप राम नवमी का पूजन करना चाहते हैं, तो मध्याह्न काल में पूजा करना सर्वश्रेष्ठ माना जाता है क्योंकि यही वह समय है जब भगवान राम का जन्म हुआ था।
राम नवमी व्रत विधि
व्रत रखने के नियम
राम नवमी के दिन व्रत रखने से शारीरिक और मानसिक शुद्धि प्राप्त होती है। यह व्रत निर्जला (बिना पानी का), फलाहारी (फल एवं दूध आधारित) या सामान्य (सात्विक भोजन सहित) हो सकता है।
व्रत की प्रक्रिया
- सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र पहनें।
- भगवान श्रीराम का ध्यान करें और व्रत का संकल्प लें।
- पूजा स्थल पर भगवान राम, माता सीता, लक्ष्मण और हनुमान जी की मूर्ति या चित्र स्थापित करें।
- गंगाजल से मूर्तियों को स्नान कराएं और चंदन, फूल, मिष्ठान अर्पित करें।
- रामचरितमानस, रामायण या श्रीराम कथा का पाठ करें।
- श्रीराम के भजन और कीर्तन करें।
- दोपहर 12:15 बजे के आसपास श्रीराम जन्मोत्सव की आरती करें।
- व्रत खोलने के लिए सात्विक भोजन करें और गरीबों को भोजन कराएं।
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राम नवमी 2025 की पूजा विधि
- पूजन सामग्री
राम नवमी की पूजा के लिए आपको निम्नलिखित सामग्री की आवश्यकता होगी:
भगवान श्रीराम, माता सीता, लक्ष्मण और हनुमान जी की प्रतिमा या चित्र
गंगाजल, दूध, शुद्ध जल, पंचामृत
चंदन, अक्षत (चावल), रोली, कुमकुम
तुलसी पत्ता, फूल, माला, मिष्ठान, फल
धूप, दीप, घी, कपूर, नारियल
रामचरितमानस या रामायण ग्रंथ
- पूजा की विधि
- घर के पूजा स्थल को अच्छे से साफ करें और गंगाजल छिड़कें।
- भगवान श्रीराम की मूर्ति को स्नान कराएं और चंदन, फूल चढ़ाएं।
- दीप जलाकर भगवान का ध्यान करें और श्रीराम स्तुति का पाठ करें।
- रामचरितमानस का पाठ करें और “ॐ श्रीरामाय नमः” मंत्र का जाप करें।
- राम जन्मोत्सव के समय श्रीराम जन्म का संकीर्तन करें और आरती उतारें।
- प्रसाद वितरण करें और गरीबों को भोजन कराएं।

राम नवमी पर विशेष कार्य
- श्रीराम नाम का जप करें – “ॐ श्रीरामाय नमः” मंत्र का जाप करें।
- रामचरितमानस और रामायण का पाठ करें – यह पाठ भगवान श्रीराम की कृपा पाने का सबसे उत्तम तरीका है।
- दान-पुण्य करें – गरीबों और जरूरतमंदों को भोजन और वस्त्र दान करें।
- भजन-कीर्तन करें – इस दिन राम भजन गाने से सकारात्मक ऊर्जा बढ़ती है।
- शोभायात्रा में भाग लें – कई स्थानों पर भव्य शोभायात्रा निकाली जाती है।
राम नवमी का सामाजिक और आध्यात्मिक संदेश
भगवान श्रीराम का जीवन हमें सच्चाई, धैर्य, प्रेम, त्याग और न्याय का पाठ पढ़ाता है। उनका जीवन यह सिखाता है कि सच्चाई की हमेशा जीत होती है और अधर्म कितना भी शक्तिशाली क्यों न हो, उसका अंत निश्चित है।
राम नवमी हमें रामराज्य की परिकल्पना को समझने का अवसर देती है, जहां सभी लोग समानता, सद्भाव और प्रेम के साथ रहते हैं। इस दिन हमें श्रीराम के जीवन से प्रेरणा लेकर अपने जीवन को भी उनके आदर्शों के अनुरूप बनाना चाहिए।