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 विश्व बेरोज़गार दिवस: वैश्विक बेरोज़गारी की चुनौती, उसके प्रभाव और समाधान की दिशा में उठाए जाने वाले कदम”

जागरूकता बढ़ाना, सरकारों और संगठनों को ठोस कदम उठाने के लिए प्रेरित करना और बेरोज़गार लोगों के लिए बेहतर अवसर उपलब्ध कराने पर जोर देना है।

बेरोज़गारी की समस्या और इसके प्रकार

बेरोज़गारी कई प्रकार की होती है, जिनमें से कुछ प्रमुख प्रकार निम्नलिखित हैं:

खुली बेरोज़गारी (Open Unemployment) – एक ऐसी स्थिति है जब कोई व्यक्ति काम करने के लिए पूरी तरह से सक्षम होता है और रोजगार की तलाश में रहता है, लेकिन उसे कोई नौकरी नहीं मिलती। यह समस्या खासतौर पर विकासशील देशों में अधिक देखी जाती है, जहां जनसंख्या वृद्धि के मुकाबले रोजगार के अवसर कम होते हैं।

गुप्त बेरोज़गारी (Disguised Unemployment) – वह स्थिति है जब किसी कार्य में अधिक लोग लगे होते हैं, लेकिन उनकी उत्पादकता कम या शून्य होती है। यह समस्या मुख्यतः कृषि क्षेत्र में देखी जाती है, जहां एक खेत में आवश्यक से अधिक लोग कार्य करते हैं, लेकिन उनके बिना भी उत्पादन पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता।

मौसमी बेरोज़गारी (Seasonal Unemployment) – वह स्थिति है जब लोगों को वर्ष के कुछ विशेष महीनों में ही काम मिलता है और बाकी समय वे बेरोज़गार रहते हैं। यह समस्या मुख्य रूप से कृषि, पर्यटन, और निर्माण क्षेत्रों में देखी जाती है, जैसे किसानों को केवल फसल कटाई के समय रोजगार मिलता है, जबकि अन्य समय वे बेरोज़गार रहते हैं।

प्रौद्योगिकीजनित बेरोज़गारी (Technological Unemployment) – वह स्थिति है जब मशीनों और नई तकनीकों के उपयोग के कारण लोगों की नौकरियां खत्म हो जाती हैं। जैसे कारखानों में रोबोट और स्वचालित मशीनें मानव श्रम की जगह ले रही हैं। इससे उत्पादन तो बढ़ता है, लेकिन असंगठित और कम कुशल श्रमिकों के लिए रोजगार के अवसर कम हो जाते

संरचनात्मक बेरोज़गारी (Structural Unemployment) – वह स्थिति है जब अर्थव्यवस्था में बदलाव या उद्योगों में तकनीकी विकास के कारण लोगों की नौकरियां समाप्त हो जाती हैं और उन्हें नए कौशल की आवश्यकता होती है। उदाहरण के लिए, डिजिटल युग में टाइपिस्टों की मांग कम हो गई है, जिससे उन्हें नई तकनीकों को सीखकर रोजगार के नए अवसर तलाशने पड़ते हैं।

विश्व बेरोज़गार दिवस का महत्व

बेरोज़गारी किसी भी व्यक्ति के जीवन में सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक होती है। यह न केवल व्यक्ति की आर्थिक स्थिति को प्रभावित करती है, बल्कि मानसिक तनाव और सामाजिक असमानता को भी बढ़ावा देती है। विश्व बेरोज़गार दिवस का मुख्य उद्देश्य इस गंभीर समस्या की ओर ध्यान आकर्षित करना और इसके समाधान के लिए कारगर कदम उठाना है।

यह दिन सरकारों, संगठनों और आम जनता को यह सोचने पर मजबूर करता है कि कैसे नए रोजगार के अवसर सृजित किए जाएं। तकनीकी विकास और बदलती अर्थव्यवस्था के कारण पारंपरिक नौकरियां खत्म हो रही हैं, जिससे नई कौशल-आधारित नौकरियों की आवश्यकता बढ़ गई है। इस दिन लोगों को जागरूक किया जाता है कि वे अपनी क्षमताओं को विकसित करें और नए अवसरों की तलाश करें।
यदि सही नीतियां अपनाई जाएं और समाज मिलकर प्रयास करे, तो बेरोज़गारी को कम किया जा सकता है और एक समृद्ध भविष्य बनाया जा सकता है।

भारत और विश्व में बेरोज़गारी की स्थिति

भारत और अन्य विकासशील देशों में बेरोज़गारी एक बड़ी समस्या बनी हुई है। हालांकि सरकारें विभिन्न योजनाओं जैसे प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना, मनरेगा और स्टार्टअप इंडिया के माध्यम से रोजगार के अवसर बढ़ाने का प्रयास कर रही हैं, लेकिन अभी भी बहुत कुछ किया जाना बाकी है।

विकसित देशों में भी बेरोज़गारी की समस्या देखने को मिलती है, खासकर आर्थिक मंदी या तकनीकी बदलाव के कारण। अमेरिका और यूरोप में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और ऑटोमेशन के कारण कई नौकरियां प्रभावित हुई हैं।

बेरोज़गारी कम करने के उपाय

तकनीकी शिक्षा और कौशल विकास: बेरोज़गारी कम करने के लिए पारंपरिक शिक्षा के साथ-साथ तकनीकी और व्यावसायिक प्रशिक्षण आवश्यक है। वर्तमान समय में नई तकनीकों का ज्ञान होना अनिवार्य है, जैसे डिजिटल मार्केटिंग, डेटा एनालिटिक्स, कोडिंग, और मशीन लर्निंग। सरकार और निजी संस्थानों को मिलकर ऐसे प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू करने चाहिए, जो युवाओं को व्यावहारिक कौशल सिखाएं। प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना जैसी योजनाएं इस दिशा में सहायक हो सकती हैं। यदि युवा आधुनिक तकनीकों में निपुण होंगे, तो वे अधिक अवसर प्राप्त कर सकेंगे और आत्मनिर्भर बन सकेंगे।

नवाचार और स्टार्टअप्स को बढ़ावा: सरकार को स्टार्टअप इंडिया और मुद्रा योजना जैसी योजनाओं को और प्रभावी बनाना चाहिए, जिससे लोग स्वयं का व्यवसाय शुरू कर सकें। छोटे और मध्यम स्तर के व्यवसाय (MSMEs) अर्थव्यवस्था की रीढ़ होते हैं और इनमें रोजगार सृजन की क्षमता अधिक होती है। सरकार को इन उद्यमियों को कर में छूट, कम ब्याज दरों पर ऋण और अन्य सुविधाएं प्रदान करनी चाहिए। इसके अलावा, स्थानीय स्तर पर स्वरोज़गार को प्रोत्साहित करने के लिए हस्तशिल्प, कृषि-आधारित उद्योग और ऑनलाइन व्यापार को बढ़ावा देना चाहिए।

  • सरकारी भर्ती प्रक्रिया को पारदर्शी और तेज़ बनाना
  • सरकारी नौकरियों की भर्ती प्रक्रिया अक्सर धीमी और जटिल होती है, जिससे लाखों योग्य उम्मीदवार बेरोज़गार रह जाते हैं। भर्ती प्रक्रिया को पारदर्शी और तेज़ बनाने के लिए डिजिटलाइजेशन का उपयोग करना चाहिए। ऑनलाइन परीक्षाएं, मेरिट-बेस्ड चयन और भ्रष्टाचार मुक्त प्रक्रियाएं रोजगार के अवसरों को बेहतर बना सकती हैं। इसके अलावा, सरकार को आवश्यकतानुसार नई नौकरियों का सृजन करना चाहिए, ताकि अधिक से अधिक युवा सरकारी और सार्वजनिक क्षेत्र में रोजगार पा सकें।
  • कृषि क्षेत्र में सुधार और आधुनिकरण

भारत में बड़ी संख्या में लोग कृषि पर निर्भर हैं, लेकिन इस क्षेत्र में उचित रोजगार के अवसर कम हैं। यदि कृषि में आधुनिक तकनीकों, सिंचाई सुविधाओं और जैविक खेती को बढ़ावा दिया जाए, तो यह अधिक रोजगार उत्पन्न कर सकता है। सरकार को किसानों को बेहतर उपकरण, उन्नत बीज, और कृषि संबंधी प्रशिक्षण प्रदान करना चाहिए। फूड प्रोसेसिंग उद्योग, डेयरी फार्मिंग और बागवानी में निवेश करके ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के अवसर बढ़ाए जा सकते हैं।

  • डिजिटल युग में नई नौकरियों के अवसर

आज का युग डिजिटल तकनीकों का है, जहां ऑनलाइन कार्य और फ्रीलांसिंग के कई अवसर उपलब्ध हैं। डिजिटल मार्केटिंग, कंटेंट राइटिंग, ग्राफिक डिजाइनिंग, वेब डेवलपमेंट और वीडियो एडिटिंग जैसी डिजिटल नौकरियों की मांग बढ़ रही है। सरकार और शैक्षणिक संस्थानों को इन कौशलों पर विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाने चाहिए, जिससे युवा डिजिटल प्लेटफॉर्म पर काम करके आत्मनिर्भर बन सकें। इसके अलावा, वर्क-फ्रॉम-होम और गिग इकॉनमी को भी प्रोत्साहित किया जाना चाहिए।

विश्व बेरोज़गार दिवस केवल एक दिन का आयोजन नहीं, बल्कि एक चेतावनी है कि बेरोज़गारी की समस्या को गंभीरता से लिया जाए। सरकारों, उद्योगों और आम नागरिकों को मिलकर इस समस्या का समाधान निकालना होगा। यदि हम सही कदम उठाएं, तो न केवल बेरोज़गारी को कम कर सकते हैं, बल्कि आर्थिक विकास को भी गति दे सकते हैं। इसलिए, इस दिन का महत्व केवल चर्चा तक सीमित नहीं होना चाहिए, बल्कि हमें इसे एक बदलाव के अवसर के रूप में देखना चाहिए।

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